क्या है रक्त चंदन की असली कहानी? जिसने फिल्म Pushpa में Allu Arjun जैसे मजदूर को बना दिया राजा

अल्लु अर्जुन की फिल्म पुष्पा दी राइज की चर्चा अभी भी नहीं थमी है. इस फिल्म के हिंदी सहित सभी वर्जन ओटीटी पर रिलीज होने के बाद इसकी कामयाबी अब सिनेमाघरों से उतर कर लोगों के मोबाइल स्क्रीन पर आ गई है. जो एक खास किस्म की लकड़ी तस्करी के धंधे में कदम रखता है और मजदूर से मालिक बन जाता है. क्या आप जानते हैं मजदूर पुष्पा को ताकतवर बनाने वाली इस खास किस्म की लकड़ी के बारे में ?

नहीं जानते तो जान लीजिए कि ये खास किस्म की लकड़ी है रक्त चंदन. पुष्पा की कहानी भले ही काल्पनिक हो लेकिन फिल्म में रक्त चंदन के बारे में जो भी दिखाया गया है वो लगभग सच है. ये सिर्फ एक लकड़ी नहीं बल्कि भारत का एक प्राकृतिक खजाना है,

भारत के एक खास स्थान पर पाए जाने वाले इस रक्त चंदन को लाल सोना कहा जाता है. अब आप सोचेंगे कि सोना तो सुनहरा होता है फिर ये लाल सोना क्या चीज है. तो जान लीजिए यह एक ऐसा पेड़ है जो सोने की तरह कीमती है. इसीलिए तो दुनिया इसे ‘लाल सोना’ कहती है. तो चलिए जानते हैं उस लाल सोने के बारे में जिसकी जितनी कड़ी सुरक्षा है उतनी ही उसकी तस्करी होती है.

बिना खुशबू के भी बेशकीमती है ये लाल सोना

Sandal

हमारे देश में चंदन मात्र एक लकड़ी नहीं बल्कि इसके अलावा इसके बहुत से धार्मिक महत्व भी हैं. तिलक से लेकर धूप अगरबत्ती में प्रयोग की जाने वाली ये खूशबूदार लकड़ी यूं तो तीन तरह की होती है, सफेद, रक्त यानि लाल और पीली. लेकिन रक्त चंदन यानी लाल चंदन की बात अलग है. एक तरफ जहां सफेद और पीले चंदन में खुशबू होती है, वहीं रक्त चंदन खुशबूदार लकड़ी नहीं है. लाल चंदन का वैज्ञानिक नाम Pterocarpus santalinus है.

शराब बनाने के काम भी आता है ये लाल सोना

red sandal

ये चंदन जिसे दुनिया लाल सोने के नाम से जानती है, बेहद गुणकारी होती है. आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इसका बहुत तरह से इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि दुनियाभर में इसकी बहुत मांग है. औषधि के अलावा इस महंगी लकड़ी से फर्नीचर, सजावट के सामान आदि भी तैयार होते हैं. और तो और ये लकड़ी शराब और कॉस्मेटिक्स की चीजों बनाने में भी प्रयोग की जाती है.

सिर्फ इस जगह उगता है ये रक्त चंदन

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पानी में डूब जाने वाली इस खास लकड़ी के पेड़ की औसतन ऊंचाई 8 से लेकर 12 मीटर तक होती है. ये चंदन भारत में हर जगह नहीं पाया जाता. ये पेड़ सिर्फ तमिलनाडु की सीमा से लगे आंध्र प्रदेश के चार जिलों- नेल्लोर, कुरनूल, चित्तूर, कडप्पा में फैली शेषाचलम की पहाड़ियों में उगते हैं.

इन पेड़ों की सुरक्षा करता है एसटीएफ

इंटरनेशनल मार्केट में करोड़ों के दाम में बिकने वाले इस चंदन की तस्करी भी जोरों पर होती है. ये पेड़ इतने कीमती हैं कि इनकी सुरक्षा के लिए STF तक की तैनाती की गई है. भारत में इसकी तस्करी को रोकने के लिए कड़े कानून हैं. चीन सहित जापान, सिंगापुर, यूएई,

और आस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में इन लकड़ियों की मांग है. इन सबमें चीन ऐसा देश है जहां इस लकड़ी की सबसे ज़्यादा स्मगलिंग होती है. यहां इस चंदन की लकड़ी की मांग इसलिए ज़्यादा है क्योंकि चीन इससे फर्नीचर, सजावटी सामान, पारंपरिक वाद्ययंत्र बनाता है.


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