बेहद अनोखा है ये शिवलिंग दिन में तीन बार बदलता है रंग ,दर्शन करने दूर दूर से आते है लोग

हमारे संसार में धर्म और आस्था को मानने वाले लोग देखने को मिल जाते हैं. और धर्म एक ऐसी  आस्था है जहां व्यक्ति को पूरी शांति मिलती है. धर्म के लिए हर एक व्यक्ति के मन में पूरी आस्था होती है. सच्चे मन से की हुई ईश्वर को याद करके प्रार्थना भी की जाती है.हर किसी की अपनी अपनी आस्था होती है. हर एक चीज से जुड़ी हुई और अपनी मनोकामनाएं पूरी कराने के लिए व्यक्ति अलग-अलग तरह से पूजा-अर्चना करता है.ताकि उसकी मनोकामना जल्दी पूर्ण हो.


हम आपसे एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में चर्चा करेंगे जहां शिवलिंग करीब 3 बार पूरे दिन में रंग बदलता है. अचलेश्वर शिव मंदि के नाम से मशहूर है. यह मंदिर शिवलिंग करीब दिन में तीन बार रंग बदलता है.इस मंदिर में शिवलिंग दिन में लाल होता है. दोपहर में केसरिया तो रात में सावला हो जाता है.

यह मंदिर राजस्थान के धौलपुर में चंबल नदी के पास है. इस नदी के बारे में बहुत सी मान्यताएं हैं लोगों की ऐसी मान्यता है यह मंदिर तकरीबन हज़ार वर्ष पुराना है.यह मंदिर  सुनसान इलाके में है.पहले डाकू के कारण से कम लोग यहां आते थे.

पर अब जैसे-जैसे सुविधाएं बढ़ रही हैं लोग यहां दर्शन के लिए आना शुरू कर रहे हैं. इस मंदिर की एक काफी दिलचस्प बात यह है शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है.इस मंदिर में शिवलिंग दिन में लाल होता है.दोपहर में केसरिया रात के समय सांवले रंग का हो जाता है.

यह काफी आश्चर्य वाली बात है कि आखिर शिवलिंग अपना रंग किस प्रकार बदलता है.कोई भी इस बात का पता नहीं लगा पाया यहां तक कि वैज्ञानिक भी इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं.शिवलिंग पर काफी रिसर्च की गई लेकिन इस चमत्कारी शिवलिंग के बारे में आज तक कुछ नहीं पता चल पाया है.

अब काफी भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं.भक्तों ने दर्शन करने के लिए चंबल नदी के पुल के एक रास्ता बनाया है.रास्ता बनाने के लिए जैसे जैसे खुदाई हुई शिवलिंग का आकार बढ़ता गया. श्रद्धालुओं इस मंदिर में काफी विश्वास रखते हैं. लोग दूर-दूर से चमत्कारी शिवलिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं.

ऐसा कहते हैं इस मंदिर में दर्शन करने से सारे दुख तकलीफ दूर हो जाती हैं.भक्तों की सारी इच्छाएं पूर्ण होती है चंबल नदी के किनारे धौलपुर से तकरीबन 5 किलोमीटर अचलेश्वर महादेव मंदिर का यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना है. शिवलिंग की खुदाई पुराने समय में राजा महाराजाओं ने भी करवाई थी. लेकिन जब शिवलिंग नहीं मिला तब शिवलिंग की खोज बंद कर दी गई थी.


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