नहीं थी खाने को दो वक्त की रोटी, बिना कोचिंग के आज वही बेटी बन गई पुलिस ऑफिसर

जब परिस्थितियां विपरीत हो ,संसाधन ना के बराबर हो ऐसे समय में जो इंसान अपने लक्ष्य की ओर एकाग्र चित्त होते हैं, वे सभी चीजों को पीछे छोड़ कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे ही एक कहानी है, भारत की एक बेटी की जिसका नाम है तेजल आहेर, जिसके पास ना खाने के लिए रोटी, ना कोचिंग में देने के लिए पैसे, ना कोई संसाधन, फिर भी उस बेटी ने अपने सपने को साकार करने के लिए दिन रात एक कर दिया।

महाराष्ट्र के नासिक जिले की तेजल आहेर की कहानी उन तमाम लोगों के लिए एक सीख है जो विकट परिस्थितियों का हवाला देकर मेहनत करने से कतराते हैं। कल्पना कीजिए कि जिस इंसान के घर में दो वक्त की रोटी भी बहुत मुश्किल से नसीब हो उस घर की बेटी ‘पुलिस उपनरीक्षक’ का पद पा लेती है।

जब भूख सताती है, इंसान को कुछ नहीं सूझता ऐसे विकट परिस्थिति में तेजल आहेर ने अफसर बनने का सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए सारी चीजों को भूल कर दिन रात मेहनत की और अंत में अपने सपने को पूरा किया।

महाराष्ट्र सरकार के द्वारा आयोजित महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा को तेजल आहेर ने पास किया। उसके बाद तेजल आहेर को ‘पुलिस उप निरीक्षक’ का पद मिला। तेजल आहेर ने यह साबित कर दिया कि अगर आपका लक्ष्य निश्चित हो और आपका सारा ध्यान उस लक्ष्य को पाने के लिए हो तो कोई भी बाधा, मुसीबत आपके और आपके लक्ष्य के बीच में कभी नहीं आ सकती।

बेटी ने मां का सपना किया साकार

तेजल आहेर के पिता बताते हैं कि तेजल आहेर की माने बचपन में ही अपनी बेटी के अफसर बनने का सपना देखा था। जब तेजल आहिर का जन्म हुआ था उस समय से ही उनकी मां कहा करती थी कि 1 दिन मेरी बेटी पुलिस अफसर बनकर हमारा नाम रोशन करेगी और उस सपने को तेजल आहेर ने सच साबित कर दिया।

अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के 15 महीने बाद जब तेजल वापस अपने घर आई, तो उनके शरीर पर पुलिस की वर्दी और कंधे पर लगे स्टार को देखकर मां के साथ साथ पूरा परिवार भावुक हो गया, पिता के आंखों में आंसू आ गए और गर्व से सीना चौड़ा हो गया।


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