दूध की किल्लत देख नौकरी छोड़ी और डेयरी बिजनेस शुरू किया, अब साल का 200 करोड़ टर्नओवर है

हमारा देश दिनों दिन तरक्की कर रहा है। अब देश में एक्सप्रेसवे हाईवे और ऊँची ऊँची इमारते बन रही हैं। पूरी दुनिया की बड़ी बड़ी टेक कंपनियों में भारतीय अधिकारी और इंजीनियर का वर्चस्व बना हुआ है। परन्तु देश के हर नागरिक और युवा को यह याद होना चाहिए की हमारा देश एक कृषि-प्रधान देश है और यहाँ के अधिकांश लोगो का मैं पेशा खेती किसानी पर ही टिका है।

कई युवा तो कृषि के व्यवसाय को बहुत ही कमतर आंकते है। उन्हें लगता है कि कृषि के क्षेत्र में काम करते हुए बड़ी कामयाबी हासिल कर पाना बहुत कठिन है। इनके उलट हमारे बीच कुछ ऐसे प्रभावशाली युवा भी हैं,

जिन्होंने अच्छी-खासी कंपनी की कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ खेती किसानी या गौ पालन को अपनाया और आज सफलता की मिसाल पेश कर रहे है। आज हम आपके सामने एक ऐसा ही उदहारण प्रस्तुत कर रहे हैं।

देसी व्यवसाय ने कामयाब बनाया

यहाँ ऐसे ही युवा की सफलता की कहानी (Success Story) आपको भारत के देसी व्यवसाय (Desi Business) का महत्त्व बयां करेगी। इस युवा ने टाटा ग्रुप में अपनी अच्छी नौकरी को छोड़ कर देश की दुग्ध उत्पादक सेक्टर (Milk Production Sector) की राह में कदम रखा और करोड़ों रुपये की कंपनी खड़ी कर दी। आज यह युवा दूध और उनके उत्पाद के क्षेत्र में कामयाब हैं।

यह भारतीय युवा श्रीकुमार मिश्रा (Srikumar Misra) हैं, जिन्होंने देश की पहली उद्यम-पूंजी समर्थित कृषि स्टार्टअप ‘मिल्क मंत्रा’ (Startup Milk Mantra) की शुरुआत की है। ओडिशा के कटक में एक मिडिल क्लास परिवार में पले-बढ़े श्रीकुमार ने अपनी स्कूली और कॉलेज स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के प्रतिष्ठित जेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट से MBA की पढ़ाई की। इस बड़े लिखे नौजवान को टाटा ग्रुप में नौकरी भी मिल गई।

राज्य में दूध की कमी देखकर बिज़नेस आईडिया आया

श्रीकुमार (Srikumar Misra) में एक खास बात रही की वे हमेशा अपने आस-पास की परिस्थिति को गहराई से देखने और उस पर विचार किया करते। इसी दौरान उन्हें अपने राज्य में दूध की किल्लत और कमी महसूस हुई। इस कमी को दूर करने के लिए उन्हें एक बड़े कारोबार का मौका दिखाई दिया। अब यही से शुरू हुआ मिल्क मंत्रा (Milk Mantra) का सफर।

श्रीकुमार ने इस बिजनेस आइडिया (Business Idea) के साथ आगे बढ़ते हुए साल 2009 में अपनी नौकरी छोड़ कर ‘मिल्क मंत्रा’ का आगाज़ कर दिया। इससे पहले टाटा ग्रुप (Tata Group) के साथ काम करते हुए श्रीकुमार ने टाटा टी द्वारा टेटली समूह के

अधिग्रहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अपने कॉर्पोरेट के काम के ज्ञान का सही उपयोग करते हुए उन्होंने ओडिशा में किसानों के बढ़िया नेटवर्क की मदद से एक शुद्ध डेयरी उत्पादों के ब्रांड बनाने का व्यवसाय शुरू किया।

काम आरम्भ करने के कुछ ही महीनों में उन्होंने कई निवेशकों को अपनी तरफ खींचते हुए देश की पहली उद्यम-पूंजी आधारित कृषि स्टार्टअप ‘मिल्क मंत्रा’ को सफलता की सीढ़ी चढ़ाते गए। मार्किट में पहले से मौजूद अन्न ब्रांड को चौनौती देते हुए, उन्होंने पहले ही साल 18 करोड़ का रेवेन्यु (Revenue) अर्जित किया।

खुद की पैकेजिंग तकनीक विकसित कर ली

इस सफलता को देखते हुए कई लोग निवेश करने आगे आये और अपने इन्वेस्टर्स की मदद से उन्होंने जून 2011 में अपनी खुद की तीन-परत पैकेजिंग तकनीक प्रणाली बना ली। इसी पैकेजिंग तकनीक के चलते दूध सामग्री को होने

वाले नुकसान को रोका जाता है। फिर उन्होंने साल 2012 में डायरेक्ट-टू-होम डिलीवरी दूध (Direct To Home Delivery Milk) जैसी सर्विस के साथ भुवनेश्वर और कोलकाता में अपने उत्पादों को उतर दिया। यह हिट हो गए।

मेहनती और पढ़े लिखे श्रीकुमार ने मिल्क मंत्रा से 40 हज़ार से भी ज्यादा किसानों को जोड़ लिया और दूध और उसके उत्पाद के क्षेत्र में बेताज बादशाह बन गए। मिल्क मंत्रा की इतने कम समय में इतनी बड़ी उपलब्धि पर अध्ययन करने के लिए रिजर्ब बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन खुद उनकी कंपनी में आये और काफी आकर्षित हुए।

मिल्क मंत्रा अभी दूध के अलावा कई अन्य डेरी उत्पादों को देश भर में करोड़ों ग्राहकों तक पहुंचा रही है। ओडिशा में सफलता पाने के बाद वे मिल्क मंत्रा कंपनी को झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में भी उतार चुके हैं।

ओडिशा के पुरी में कंपनी का मुख्य प्रसंस्करण संयंत्र है। यहाँ हर दिन 70000 लीटर दूध की प्रसंस्करण कैपेसिटी है। इसके अलावा संबलपुर में भी एक संयंत्र है, जिसकी कैपेसिटी 50000 लीटर प्रति दिन है। मिल्क मंत्रा कंपनी का सालाना टर्नओवर 120 करोड़ के पार बताया जाता है।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं की ताज़ा जानकारी में मिल्क मंत्रा कंपनी को 10 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली है। बताया जा रहा है की कंपनी ने 2019-20 में 32 मिलियन डॉलर मतलब 208 करोड़ का रेवेन्यू बनाया था। यह कहना गलत नहीं होगा की श्रीकुमार ने स्वेत क्रांति के आधुनिक युग की शुरुआत कर दी है और सफलता की मिसाल पेश की है।


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