आखिर एक फकीर कैसे बन गया शिरडी का साईबाबा, आइये जानते है !

Shirdi Sai Baba Story: आज हम बात शिरडी के साई बाबा की! सबसे बाबा सन् 1854 ई. में शिरडी में दिखाई दिए! आपको जानकार हैरानी होगी उस समय बाबा मात्र 16 साल के थे जब पहली बार शिरडी में दिखाई दिए! साई बाबा लोगो ने शिरडी में एक नीम के पेड़ के नीचे देखा था!

लोगो को हैरानी की बात ये लगी इतनी छोटी सी उम्र में भूक-प्यास, शर्दी-गर्मी की चिंता किये बिना, एक छोटा सा बालयोगी तपस्या कर रहा है!

जब शिरडी से चले गए बाबा

आपको बता दे छोटी सी उम्र में हमेसा उस नीम के पेड़ के नीचे रहने वाले उस बालयोगी के तरफ लोग जल्द ही आकर्षित हो जाया करते थे! बालयोगी ने जल्द गांव के लोगो को मोह लिया था!

लोग हैरान रह गए जब साई बाबा अचनाक से शिरडी से बिना किसी को कुछ बताये चले गए!

जब बालयोगी कैसे कहलाने लगे साई बाबा

समय बीतता गया और कुछ समय के साई बाबा फिर शिरडी पहुचे, वो भी चाँद पाटिल की बारात के साथ! आपको बता दे वही खंडोबा मंदिर के पुजारी म्हालसापति ने उस योगी या फ़क़ीर को “आओ साई” कहकर उनका स्वागत किया था! और जभी से उनका “साईबाबा” पड़ गया!

आपको बता दे बारात चली गयी परन्तु साईबाबा हमेसा के लिए शिरडी में ही रह गए!

साईबाबा आखिर थे कौन? जन्म कहाँ हुआ?

आपकी जानकारी के लिए बता दे बाबा कौन थे? परिवार कौन था? कब जन्म, कहाँ जन्म? ये सब सवाल एक पहेली है! जिसके बारे में कोई नहीं जनता! और ना साई बाबा ने अपने बारे कभी कुछ बताया! बस उनके मानवता प्रेम, त्याग, दयालुता और चमत्कारों की प्रसिद्घि चारों ओर फैल गई और वे कहलाने लगे ‘शिरडी के सांईबाबा’!


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