गरीबी और दुख आपके किन कर्मो की सजा है ??

इंसान अपने सुख-दुख के लिए काफी हद तक खुद भी जिम्मेदार होता है। भगवान भले ही आपके भाग्य में धन और सुख लिखकर भेज दें लेकिन आपकी हर बात पर भगवान नजर रखते हैं और आपके कार्मों के अनुसार भाग्य को बदल भी देते हैं इसलिए देखा जाता है कि कई लोगों की हथेली में लंबी आयु रेखा होने पर भी अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं और अच्छी भाग्य रेखा होने पर भी गरीबी में गुजर-बसर करते हैं।

भगवान श्री कृष्ण के मित्र सुदामा भी इस बात के उदाहरण माने जाते हैं जिन्हें अपनी भूल के कारण अत्यंत गरीबी का सामना करना पड़ा। हलॉंकि बाद में श्री कृष्ण की कृपा से उनकी गरीबी दूर हो गई। यहां हम कुछ ऐसे ही कारणों को बता रहे हैं जिनकी वजह से भाग्य रूठ जाता है और गरीबी का सामना करना पड़ता है।

इस भूल के कारण सुदामा हुए गरीब: सुदामा का उदाहरण सामने है तो सबसे पहले उसी कारण की बता कर रहे हैं जिनकी वजह से सुदामा गरीब हुए। सुदामा ने लालच में आकर गुरुमाता के द्वारा दिया गया भोजन अकेले ही खा लिया जबकि उसमें श्रीकृष्ण का भी हिस्सा था। दूसरे का हिस्सा खा लेने की वजह से सुदामा को गरीबी का सामना करना पड़ा। यहां यह भी ध्यान रखें कि, गीता में कहा गया है – जो भगवान को भोग लगाए बिना भोजन करते हैं वह चोरी का अन्न खाने के समान भूल करते हैं। इसकी सजा लोक और परलोक दोनों जगह भोगनी पड़ती है। इसलिए दूसरे का हक नहीं छीनना चाहिए।

इन्हें न भगाएं दुत्कार कर: महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है- दानेन भोगी भवति। यानी उदारता से भोग प्राप्त होता है। भूखा और गरीब आदमी घर के द्वार पर भोजन मांगने आए और उसे दुत्कार करके भगा देना महापाप माना गया है। ऐसे व्यक्ति के धन में बरकत नहीं होती है और लक्ष्मी इनसे रूठकर चली जाती है।

पुरुष न करें यह भूल: श्रिय एता स्त्रियो नाम सत्कार्या भूतिमिच्छता। पालिता निगृहीताश्च श्री भवति भारत।। यानी स्त्रियां ही श्री अर्थात् लक्ष्मी हैं। ऐश्वर्य चाहने वाले को इनका आदर करना चाहिए। जो पुरुष अपनी पत्नी के साथ बुरा व्यवहार करते हैं। उनके साथ कटु वचन बोलते हैं और मार-पीट करते हैं उन घरों में अधिक समय तक लक्ष्मी नहीं रहती हैं। पुराणों में लिखा है कि जहां गृहलक्ष्मी यानी घर की स्त्री का अनादर होता है वहां अधिक समय तक देवी लक्ष्मी नहीं रहती हैं यानी वहां गरीबी आते देर नहीं लगती है।

इन चीजों से हमेशा रहें दूर: मदिरा और जुआ को सर्वनाश का कारण माना गया है। इसका उदाहरण महाभारत में प्रत्यक्ष दिखाया गया है। जुआ खेलने के कारण चक्रवर्ती सम्राट युधिष्ठिर को अपना राजपाट गंवाना पड़ा और अंत में पत्नी तक को दांव पर लगाना पड़ गया। युधिष्ठिर को वर्षों भाई और पत्नी के साथ वन-वन भटकना पड़ा।

इस भूल से कितने ही हुए गरीब: परस्त्री गमन को महापाप माना गया है। बाली से लेकर रावण तक और रामायण से लेकर महाभारत तक इसके अनेक उदाहरण मिलते हैं जिनमें परस्त्री पर कुदृष्टि डालने के कारण धन-संपन्न व्यक्ति भी दरिद्र हो गए। अहिल्या पर कुदृष्टि डालने के कारण देवताओं के राजा इंद्र को भी अपना राजपाट गंवाकर सामान्य मनुष्य की तरह भटकना पड़ा था।

हमेशा रखें इस बात का ध्यान: इसलिए शास्त्र कहता है कि ये पांच ऐसे महापाप हैं जो लोक परलोक और अगले कई जन्मों तक मनुष्य को दरिद्र बना देते हैं इसलिए इनसे बचना चाहिए।


Posted

in

by

Tags: