जोड़ों और घुटने के दर्द से पीड़ित मरीज ऑपरेशन से पहले अपनाएं ये देसी उपाय, इससे अस्पताल के खर्च में लाखों रुपये की बचत होगी।

बलूत की फली का आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह बलूत की फली कई बीमारियों में राहत देने का काम करती है। उदाहरण के लिए जडे में बबूल की फली पीने से काफी आराम मिलता है।

शरीर में पेशाब की अधिकता होने पर भी बबूल की फली बहुत काम आती है क्योंकि इसके सेवन से अधिक पेशाब रुक जाता है, दांत दर्द में भी लाभ होता है।

शरीर की कमजोरी को दूर करने के लिए उपयोगी

सुबह-शाम बबूल का सींग पानी के साथ पीने से शरीर की सारी कमजोरी दूर हो जाती है, हड्डियों के कमजोर होने पर भी इसका सेवन किया जाता है।

सुबह-शाम इसका सेवन करने से हड्डियाँ बहुत मजबूत और सख्त हो जाती हैं, इस प्रकार बबूल की फली हमारे कई रोगों में लाभकारी होती है। आइए नीचे पूर्ण लाभों के बारे में जानें।

शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द को ठीक करने के लिए

जब भी शरीर के किसी हिस्से में दर्द होता है तो उसे बर्दाश्त नहीं होता है। जोड़ों का दर्द, बदन दर्द, कमर दर्द, घुटने का दर्द हो सकता है। यह दर्द को दूर करने में मदद करता है।

इसके लिए बबूल के सींग का पीसी लें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। इससे इन सभी दर्द से राहत मिल सकती है।

कमर दर्द में फायदेमंद

बबूल का सींग, किकर हॉर्न और गोंद को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से लें। पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने पर इस मिश्रण का एक चम्मच दिन में दो से तीन बार सेवन करें। इसके सेवन से कमर दर्द जल्दी दूर हो जाता है।

दाद (खुजली) या खुजली का इलाज करें

आचार्य बालकृष्ण कहते हैं कि सिरके में बबूल के फूल डालें। जब भी त्वचा में खुजली, खुजली या खुजली की समस्या हो तो प्रभावित जगह पर लगाएं। इससे खुजली जल्दी खत्म हो जाएगी।

शरीर के घाव भर देता है

त्वचा पर कहीं भी घाव हो गया हो तो बबूल के पत्ते का पीसकर उसका रस लगाने से घाव जल्दी भर जाता है। इसी तरह आप बबूल का इस्तेमाल खांसी को ठीक करने के लिए भी कर सकते हैं।

ढीली गति

यदि किसी व्यक्ति को तेज दस्त हो और वह रुकने का नाम न ले तो उसे इस प्रकार बबूल के सींग का सेवन करना चाहिए। यह दस्त का इलाज है। इसके लिए 2 बबूल की फली खिलाएं और फिर छाछ दें, दस्त की समस्या दूर हो जाएगी।

भूख बढ़ाने के लिए बबूल के सींग का सेवन

भूख न लगना या भूख न लगना रोकने के लिए बबूल की फली का अचार बनाएं। इसमें सिंधव नमक मिलाकर खिलाएं। यह भूख बढ़ाता है, और पेट में जलन में मदद करता है।

श्वसन विकारों में बबूल का प्रयोग लाभकारी होता है

बबूल की पत्ती और तने की छाल का चूर्ण बना लें। इसमें 1-2 ग्राम शहद मिलाएं। यह श्वसन तंत्र के रोगों में लाभकारी होता है। इसी प्रकार 1 ग्राम बबूल का गोंद खाने से श्वास संबंधी रोग ठीक हो जाते हैं।

पेट के रोगों में फायदेमंद है बबूल के औषधीय गुण

बबूल की छाल का काढ़ा बना लें। जब काढ़ा थोड़ा गाढ़ा हो जाए तो 1-2 मिलीलीटर छाछ पी लें। पेट के रोगों में लाभ होता है। इस दौरान छाछ का ही सेवन करना चाहिए।

बलूत के सींगों को भूनें। इसका पाउडर बना लें और इसे उबले हुए पानी के साथ पीएं। यह पेट दर्द से राहत दिलाता है।


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