बिहार के इस गांव में बेटी के जन्म पर झूम उठा पूरा गांव, लाडली को पालकी में बिठा कर लाया गया घर.

हमारे देश भारत में ऐसा माना जाता है कि बेटियां लक्ष्मी का रुप होती है, अगर किसी घर में बेटी पैदा होती है तो उस घर में साक्षात लक्ष्मी जन्म लेती है. लेकिन इसके बावजूद भी समाज के कई लोगों की सोच ऐसी है, कि बेटी परिवार के ऊपर बोझ होती है.

यही कारण है कि लोग अपने घरों में बेटी नहीं चाहते हैं. लेकिन इसी समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बेटियों के पैदा होने के बाद खुशी मनाते हैं. ऐसे ही आज हम एक परिवार के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने बेटी के पैदा होने के बाद पूरे गांव में धूमधाम से जश्न मनाया.

हम जिस परिवार के बारे में बात कर रहे हैं वह परिवार भारत के राज्य बिहार के छपरा जिले के एक छोटे से गांव में रहता है. मालूम हो कि जब इस परिवार में बेटी ने जन्म लिया तो पूरे गांव में जश्न का माहौल बन गया. केवल परिवार के लोग ही नहीं बल्कि गांव के लोग भी खुशियां मनाने लगे. बेटी के जन्म के बाद इसे इस तरह से जश्न मनाया गया, जैसे या कोई धार्मिक त्यौहार हो. आसपास के लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर के लोग इस जश्न में शामिल होने लगे

बेटी के जन्म के बाद इस तरह का जश्न मनाने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि, इस परिवार में 45 सालों के बाद किसी बेटी का जन्म हुआ है. जी हां दरअसल यह परिवार एक ऐसा परिवार है, जहां पिछले 45 सालों में किसी बेटी ने जन्म नहीं लिया है.

45 सालों के बाद जब इस परिवार में एक बेटी ने जन्म लिया तो, खुशी का माहौल बन गया. यही नहीं बल्कि इस परिवार की खुशी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि, बेटी को अस्पताल से घर लाने के लिए पालकी का इंतजाम किया गया. पालकी पर जन्म हुई बेटी एवं उसकी माँ दोनों को पालकी में बिठाकर घर लाया गया.

बिहार के छपरा जिले के जिस परिवार में बेटी का जन्म हुआ है. उस परिवार के मुखिया का नाम धीरज गुप्ता है. धीरज गुप्ता ने उस बेटी के पिता है धीरज गुप्ता के दादा की माने तो वह बेटियों को लक्ष्मी का रूप मानते थे. वह शुरू से ही चाहते थे कि उनके घर में बेटी का जन्म हो, लेकिन ऐसा 45 सालों के बाद हुआ. यही कारण है कि केवल गुप्ता परिवार वाले ही नहीं, बल्कि पूरे गांव ने बेटी के जन्म के बाद खुशियां मनाया.


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