छोटा फ्रेम, बड़ी तस्वीर; ओमवती की छोटी सी कोशिश ने रंग दिखाया और टल गई अनहोनी

UP News एटा-टूंडला रेल ट्रैक पर एक जगह टूटी पटरी देख लाल साड़ी दिखाते हुए ओमवती ने ट्रेन रोक हादसा होने से बचाया। साथ में है उनका पुत्र धर्मेद्र। ओमवती की सूझबूझ की सभी सराहना कर रहे हैं। जागरण

लखनऊ, राजू मिश्र। ओमवती ने यह सुन रखा था कि लाल रंग का कपड़ा दिखा देने से कोई भी चलती हुई ट्रेन रुक जाती है। बस इतनी सी जानकारी के आधार पर एटा से टूंडला जा रही एक पैसेंजर ट्रेन को ओमवती ने सूझबूझ से दुर्घटनाग्रस्त होने से बचा दिया।

दरअसल एक स्थान पर टूटी पटरी देखकर इस महिला ने लाल साड़ी का पल्लू लहराया, जिसे संज्ञान में लेते हुए लोको पायलट ने टेन रोक दी। इसके बाद पटरी की मरम्मत कराई गई, तब जाकर ट्रेन गंतव्य के लिए रवाना हो सकी।

अच्छी बात यह थी कि ओमवती लाल साड़ी पहने हुए थी। अगर वह टूटी पटरी के पास ही खड़ी रहती तो हो सकता था कि ट्रेन न रुक पाती, इसलिए आगे जाकर रोकने का फैसला किया। विभिन्न संगठनों ने रेल मंत्री से मांग की है कि ओमवती को उसकी सूझबूझ की खातिर समुचित इनाम दिया जाए। इस घटना के बाद गुलरिया गांव हर्षित है। ग्रामीणों को प्रसन्नता है कि ओमवती की छोटी सी कोशिश ने रंग दिखाया।

मुख्यमंत्री की पहल : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में राजभवन के पास काफिला रुकवा कर पीछे से आती एंबुलेंस को आगे निकालने का आदेश दिया। यह बात संज्ञान में आने पर मरीज और उसके परिवार वालों के मन में कृतज्ञता का भाव अवश्य जागा होगा।

ऐसे उदाहरण कभी ही देखने को मिलते हैं। आए दिन किसी न किसी चौराहे पर जाम में फंसी एंबुलेंस के हूटर की आवाज भी लोगों को नहीं सुनाई देती है। यातायात पुलिस भी ऐसे में स्वयं को असहाय पाती है। एंबुलेंस में या तो कोई गंभीर मरीज होता है या फिर वह किसी ऐसे मरीज को लेने के लिए जा रही होती है जो जीवन और मृत्यु से जूझ रहा होता है।

विगत वर्ष जून में कानपुर में जाम में फंसी एंबुलेंस में सवार बीमार महिला की जान चली गई थी। इस घटना के लिए कानपुर पुलिस को माफी भी मांगनी पड़ी थी। वस्तुत: सवाल जागरूकता का है। राहगीर यदि स्वयं एंबुलेंस निकलने के लिए रास्ता बना दें तो जिंदगी और मौत से जूझते मरीजों को बचाया जा सकता है। निसंदेह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस छोटी सी पहल ने बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है।

जीवन बचाने का कारगर प्रयास : अपनी दिक्कतों का विवरण लिखकर आत्महत्या करने वालों की जीवन रक्षा के लिए पुलिस ने एक अनूठी शुरुआत की है। इंटरनेट मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर आत्महत्या से संबंधित पोस्ट लिखने वालों की जान बचाने के लिए पुलिस उन तक पहुंच रही है। एक पखवाड़े के अंदर ऐसे ही दो लोगों की जीवन रक्षा मुख्यालय स्थित मानिटरिंग सेंटर की सहायता से पुलिस कर चुकी है।

पुलिस को ट्विटर से जानकारी मिली कि प्रयागराज का 11वीं का एक छात्र परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने के कारण आत्महत्या करने की तैयारी में है। पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल से उस छात्र को ऐसा कदम न उठाने के लिए लिखा। इस दौरान छात्र का मोबाइल नंबर लिया गया और लोकेशन लेकर प्रयागराज पुलिस को उस छात्र की जान बचाने के लिए भेजा गया। छात्र से मिलकर पुलिस ने उसे समझाया। तब छात्र ने आश्वस्त किया कि वह भविष्य में आत्महत्या जैसे कदम के बारे में कतई नहीं सोचेगा। इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने इंटरनेट मीडिया पर आत्महत्या संबंधी पोस्ट पर निगरानी बढ़ा दी है। पुलिस की मीडिया टीम ने ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ मिलकर यह नई पहल की है।

अब यदि किसी व्यक्ति ने आत्महत्या करने से संबंधित कोई पोस्ट डाली तो कंपनी की तरफ से पुलिस मानिटरिंग सेंटर के फोन नंबर और ईमेल आइडी पर अलर्ट भेजा जाता है। उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम ऐसे किसी भी अलर्ट के लिए 24 घंटे निगरानी रखती है। जैसे ही कोई जानकारी मिलती है तो आत्महत्या करने के बारे में सोच रहे व्यक्ति से पुलिस बात करती है, उसे समझाने की कोशिश करती है, हरसंभव मदद का विश्वास दिलाती है। दूसरी तरफ लोकेशन लेकर स्थानीय पुलिस को भी मौके पर भेज दिया जाता है। नतीजा है कि आत्महत्या करने वालों को अब घातक कदम उठाने से पहले ही बचाया जा रहा है।

 


Posted

in

by

Tags: