मिसाल ;- ट्रकों के पंचर जोड़ अपने परिवार का पेट पालती है ये महिला, समाज के लिए है मिसाल

दोस्तो हम एक पुरूष प्रधान समाज मे  रहते है जहाँ आज भी महिलाओं को पुरूषों से कमजोर समझा जाता है क्योंकि पुरुष को खुद महिलाओं से अधिक समझदार और ताकतवर मानता है ।इस  पुरूष प्रधान समाज महिलाओं के लिये कई प्रकार की पाबंदी भी बनाई हुई कि महिलाये पुरुष के सामने ज़्यादा बोल नही सकती है ज्यादा हँस नहीं सकती है ।

ऐसी बहुत सारी पाबंदी लगाई गयी है जिससे महिलाएं पुरुषों से आगे ना जाने पाये। अधिकांश घर वाले भी लड़कियों को बोझ समझते है जिससे उन्हें आगे की पढ़ाई करने बजाय शादी करके घर के कामों में लगा देते है पर दोस्तो धीरे – धीरे समय बदल रहा है आज के समय मे लडकिया भी लड़को से किसी भी प्रकार से कम नहीं है ।

लड़कियों को अगर आज के समय मे मौका दिया जाये  तो वो लड़को को पीछे कर देती है चाहे वो शिक्षा हो या फिर खेल हो हर जगह लडकिया लड़को से कई गुना बेहतर प्रदर्शन करती है। आज हम  आपको एक ऐसी ही प्रेरणा देने वाली घटना के बारे बताने जा रहे है जिसको देखने के बाद आप स्वयं कहेंगे कि  सच के महिलाये आप पुरुषो से कही आगे है ।

दोस्तो ये  वायरल तस्वीर और घटना  तमिलनाडु के कोथागुडेम के सुजातनागर कि है। तस्वीरों में आपको दिख रहा होगा कि केसे एक महिला आराम से ट्रक से पहिया निकालकर उससे ठीक कर रही है फिर पुनः वो पहिया को ठीक कर देती है  । दोस्तो इस महिला का नाम है आदिलक्ष्मी है

और ये पंचर बनाने के दुकान इसकी और इसके पति की है।  दोस्तो आदिलक्ष्मी एक बहुत  अच्छी वेल्डर है और मेटल फ्रेम फैब्रिकेटर है जिस कारण से  वो कई ट्रकों  के पंचर बनाने का एक साथ कर देती है । आदिलक्ष्मी ट्रैकों से टायर निकलने का काम तो एक हाथ से कर लेती है।

जब  आदिलक्ष्मी कि तस्वीर वायरल हुई तो उनसे पूछा गया कि आखिर क्या वजह थी जो उन्हें भी  दुकान में काम करने लगी जिसके जवाब में आदिलक्ष्मी ने बताया कि उनके परिवार ने कर्ज लिया था जो कि दिन बा दिन बढ़ते जा रहा था जिस कारण से मैंने भी पति के साथ दुकान में काम करना शुरू कर दिया शुरू में उनके पास समान की कमी भी थी। आदिलक्ष्मी ने बताया कि उन्होंने ये दुकान तीन साल पहले घर को गिरवी रख खोली थी जिसके बाद से वो बिना छुट्टी लिया काम कर रही है

आदिलक्ष्मी ने बताया कि उनकी शादी 2010 में हुई थी जिसके उन्हें दो बेटियां जिनका पालन पोषण करने के लिये उन्हें दुकान  खोलनी पड़ी थी। सरकार अगर  उनकी बच्चियों को पढ़ा लिखा कर अपने पैर में खड़ा कर सकती है तो उन्हें बहुत फायदा होगा।


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