बिहार के विकास ने नौकरी छोड़ी, ठोकर खाकर 325 करोड़ की कंपनी खड़ी की, 400 लोगो को रोजगार भी दिया

देश में कई जगह हिंदी या अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात करने वालों को कमतर आँका जाता है। यहाँ तक के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वालों को लोग ज्यादा तजब्बो देते हैं। ऐसा सोचते हैं की जिसे इंग्लिश में बात करते नहीं आता, वह तो जीवन में कुछ अच्छा कर ही नहीं सकता।

आज हम एक ऐसे शख्स की कहानी लेकर आएं है, जिसे कभी अंग्रेजी में बात नहीं करने के लिए हंसी का पात्र बनना पड़ा, वह आने वाले वक़्त में कई करोड़ रुपये के बड़े बिज़नेस एम्पायर (Business Empire) का मालिक बन गया। आज इनके कस्टमर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी हैं।

बिहार के रहने वाले विकास (Vikas Kumar) की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। बिहार में सबसे ज्यादा ट्रेंड एक अच्छी सरकारी नौकरी (Government Job) पाने का रहा है। विकास ने भी उसी राह पर चलते हुए सरकारी नौकरी हासिल की। परन्तु उन्हें तो कुछ और ही बड़ा करना था।

बिहार के एक छोटे से शहर से आने वाले, विकास ने साल 2001 में दिल्ली विश्वविद्यालय से B Com पूरा किया। मल्टीमीडिया में स्नातकोत्तर डिप्लोमा की लेने के बाद सरकारी नौकरी पाने के लिए तैयारी में लग गए और दिल्ली सरकार में एक गवर्नमेंट जॉब हासिल कर ली।

विकास की लगन और कड़ी मेहनत की वजह से वे टीम लीडर बन गए। वह दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘कैल्टुन्ज़’ के टीम लीड भी रहे।

उनके काम और उसके रिजल्ट को देखते हुए उनकी टीम को भारत सरकार किए आईटी मंत्रालय की तरफ से सिल्वर आइकन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आइल अलावा उन्हें प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।

इतना सब प्राप्त करने के बाद भी विकास इससे भी कुछ और बड़ा और अच्छा करना चाह रहे थे। वह अपनी खुद की एक कंपनी स्टार्ट करना चाहते थे। साल 2008 में उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी को छोड़ने का कठिन फैसला किया।

विकास (Vikas Kumar) ने अपनी खुद की कंपनी स्टार्ट करने के लिए कई जानकारी जुताई। फिर साल 2009 में उन्होंने अन्न मित्रों के साथ पार्टनरशिप में अपनी मल्टीमीडिया स्टार्टअप “डिजिटुन्ज़” चालु की। उनके स्टार्टअप डिजिटुन्ज़ (Startup Digitoonz) को शुरू शुरू में कुछ परेशानियां आईं और कम मुनाफा बना। अब वे नए ग्राहकों के लिए प्लानिंग करने लगे।

डिजिटुन्ज़ (Digitoonz) बिना लाभ के फल-फूल रहा था। फिर विकास को एक निकसान हो गया। उनके तीन साथी व्यवसाय के दबाव को सहन नहीं कर पाए और निराश होकर बैठ गए। उन्होंने डिजिटुन्ज़ में अपने निवेश की 22 लाख रुपये की पूरी वापस लेने की डिमांड रख दी।

विकास को कंपनी छोड़ने या 22 लाख रुपया जुटाने का ऑब्शन दिखने लगा। मई 2010 में, विकास ने रिस्क लेते हुए अपने साथियों को केवल 3 महीने में अगस्त 2010 तक पूरा पैसा वापस करने का कह दिया।

विकास ने हर जगह अपने खर्चे कम कर दिए और पैसो की बचत करनी चालु कर दी। वे कार की बजाय मेट्रो से ही ऑफिस जाने आने लगे। विकास के 3 महीने का वो कठिन दौर ख़त्म हुआ और विकास ने अपने सहयोगियों को अपने वादे के मुताबिक,

तय समय सीमा से पहले पूरी रकम वापस कर दिए। इस घटना ने उन्हें एक समझदार व्यवसायी (Awesome Businessman) तो बना ही दिया था। उन्होंने इससे निपटने के आबाद तय किया की अब ने अपने जीवन में ऐसी स्थिति फिर नहीं आने देंगे। अब वे आत्मनिर्भर ही बनेंगे।

फिर विकास ने सही कदन उठाये और 2013 तक अपना काम करते रहे। उन्होंने अपने कुछ कस्टमर्स के लिए 50 योग्य कर्मचारियों की एक टीम बना ली। अब उनकी टीम लगातार आहे बढ़ रही थी। उन्होंने अपने वैश्विक ग्राहकों को अच्छी सर्विस देने के लिए महंगे सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल किया।

धीरे धीरे उनकी कंपनी डिजिटुन्ज़ (Digitoonz Company) की यह 50 लोगो की टीम अब 400 लोगों की टीम के बन गई है। वे भारत की टॉप में से एक 2डी एनीमेशन कंपनियों में से एक बन गई है। नॉर्थ ईस्ट इंडिया के प्रतिभाओं को मौका देने के लिए, उन्होंने कोलकाता में भी एक ब्रांच खोली है, जिसमें उनके 120 कर्मचारी कार्यरत हैं।

विकास में आज इतनी तरक्की कर ली है की आज उनकी डिजिटुन्ज़ कम्पनी बीबीसी, निकलोडियन और डिजिटल डोमेन जैसे विश्व प्रसिद्द प्लैटफॉर्म्स को सेवाएं दे रहा है। उनके कार्यों को रिक और मोर्टी, निंजा टर्टल और डॉक्टर हू जैसे कार्यक्रमों में देखा जा सकता है। हालिया समय में डिजिटुन्ज़ कंपनी का वैल्यूएशन 325 करोड़ के आस पास पहुँच गया है।


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