समाज से लड़कर लड़के ने शहीद की विधवा से रचाई शादी, हर किसी को पढ़नी चाहिए इन दोनों की कहानी

‘त्याग’ की परिभाषा को यदि बारीकी से किसी ने समझा है तो वह है एक औरत। वह चाहे दुनिया के किसी भी कोने में रहती हो, किसी भी धर्म एवं मज़हब को मानती हो, लेकिन त्याग का धर्म उसे बचपन से ही सिखा दिया जाता है। शायद उसके खून के एक-एक कण में त्याग नामावली बस चुकी है, तभी तो जन्म से

लेकर मरण तक हर पल अपनी खुशियों एवं तमन्नाओं का त्याग करना सीखा है नारी ने। केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के किसी भी कोने में ज़रा नज़र घुमा कर देखें आपको ऐसे कई रीति-रिवाज जरूर मिल जाएंगे, जिसमें त्याग का बीड़ा एक स्त्री को उठाना पड़ता है। कई बार तो इस त्याग का प्रभाव इतना गहरा होता है कि बेचारी उस महिला को यह पूछने का भी मौका नहीं मिलता कि ‘ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा है’?

संस्कृतियों एवं रिवाज़ों में बंधी यह महिलाएं बस त्याग करना सीखती हैं। पति के ना के बाद खुद का त्याग कर देना भी एक ऐसा तथ्य है जो महिलाओं के लिए अभिशाप बनकर रह गया है। केवल पति के ना होने का गम ही उसके लिए काफी नहीं होता, उसके बाद उसका अकेलापन अन्य कट्टर रिवाज़ों से बंधकर उसे पल-पल मारता है।

खैर ये तो बात हुई हमारे देश और समाज में फैली हुई कुरीतियों की लेकिन आज हम आपको एक बहुत ही दिलचस्प कहानी बताने जा रहे  है जिसे पढने के बाद आपको भी ऐसा महसूस होगा की इस दुनिया में आज भी कही न कही इंसानियत जिन्दा है जो लोगो के दुःख दर्द को समझते ही नहीं बल्कि उन्हें उस दर्द से निकालने के लिए अपनी जी जान लगा देते है |दरअसल ये कहानी एक अफगानी लेखक ने शेयर की है  जो की बहुत ही प्रेरणा दाई है और इसे हर हिन्दुस्तानी को जरुर पढनी चाहिए |

एक दिन की बात है जब सलमान जो उसी गांव का रहने वाला था जो की 9 साल से शहर में नौकरी करता था एक दिन अपने गांव वापस आ रहा था और जैसे ही वो अपने गांव के बस स्टैंड पर उतरा तो इधर उधर देखने लगा लेकिन उसे अपने घर जाने के लिए कोई भी टैक्सी नहीं मिली तब वो पैदल ही अपने गांव

की तरफ चल पड़ा |पैदल चलते समय सलमान के मन में खुशी की ठंडी ठंडी लहरें उठ रही थी उसे ख़ुशी इस बात की हो रही थी की इतने दिनों के बाद वो अपने परिवार वालों से मिलेगा ,अपने दोस्तों से मिलेगा और उस शख्स से भी मिलेगा जिससे वो कई साल पहले प्यार करता था और उसकी तस्वीर आज भी उसके नजरों में बसी हुई थी |

सलमान रास्ते भर चलते हुए यही सोच रहा था की उसके बचपन का प्यार जिसका नाम था अफसाना जिसे वो कभी पाना चाहता था  और अफसाना भी सलमान को अपना जीवनसाथी मानती थी लेकिन सलमान को लग रहा था की इतने सालों के बाद तो अफसाना की शादी किसी और से हो गयी होगी यहो सकता है वो आज

भी उसका इंतजार करती हो इन्ही सब ख्यालों में खोये खोये सलमान कब अपने गांव पहुच गया उसे पता भी नहीं चला  तभी सलमान को एक पीपल के पेड़ के नीचे सफ़ेद साड़ी में लिपटी हुई लड़की नजर आई जिसका चेहरा धयान से देखने के बाद सलमान को पता चला की ये तो वही है जिसका चेहरा उसकी आँखों में बसा हुआ है

सलमान तुरंत उस लड़की के पास जाकर बोला  अफसाना तुम…और जब अफसाना ने सलमान के तरफ देखा तो उसकी आँखों से आसुओं की धारा बहने लगी तब सलमान ने उससे पूछा की अफसाना ऐसा क्या हो गया की तुम इस तरह से गांव के बाहर अकेले इस हालत में बैठी हो…तभी पीछे से एक आवाज आती है सलमान…

आयर ये आवाज ही सलमान के माँ की जो की सलमान को बुला रही थी और जब सलमान पलटकर देखा तो माँ दौड़ कर आई और सलमान को गले से लगा लिया |उसके बाद माँ कहा बेटा तू इस डायन से बात क्यों कर रहा है तुझे इसकी बुरी नजर लग जाएगी चले तेरी नजर उतार दूँ जल्दी से और वो अफसाना को घूरते हुए सलमान को लेकर चली गयी

माँ की बात सुनकर सलमान बोला ये क्या बोल रही हो माँ |तो माँ ने कहा हाँ बेटा ये डायन है इसने अपने दो दो पतियों को खा लिया है और ये बोलते हुए सलमान की नजर उतरवाने मस्जिद लेकर गयी और मौलवी से कहा इसकी नजर काट दो क्योंकि इसे एक डायन ने छू लिया ये सुनकर सलमान काफी गुस्से में आ गया और झुंझलाकर बोला माँ ये क्या डायन डायन लगा रखा इंसान कभी डायन नहीं होता और अफसाना तो आपकी अपनी बेटी समान है वो कैसे डायन है |

सलमान की माँ ने कहा बेटा तू नहीं जनता उस डायन ने अपने पति को भी नहीं छोड़ा और जो भी उसका मनहूस चेहरा देख लेता है उसका पूरा दिन बर्बाद हो जाता है लेकिन सलमान पर माँ की इन बातों का जरा भी असर नहीं हुआ क्योंकि सलमान पढ़ा-लिखा समझदार था वो इन बातों में विश्वास नहीं रखता था

वह जानता था यह सब गांव वालों का अंधविश्वास है। दरअसल अफसाना का पति फौज में था। तालिबानी आतंकियों से लोहा लेते हुए वो शहीद हो गया। तब से अफसाना अकेली रह गई।वही सलमान की आँखों में बार बार अफसाना का आसुओं में डूबा हुआ चेहरा सामने आता रहा और वो अफसाना से मिलने के लिए उसी पीपल के पेड़ के निचे पहुँच गया वहां अफसाना अकेले बैठी थी अपने आसुओं के साथ तब सलमान ने उससे कहा की अफसाना ये तुमने अपनी कैसी हालत बना ली है तुन तो पढ़ी लिखी समझदार थी |

यह सब सुनकर अफसाना ने कहा ये सब किस्मत का खेल है जिसपर किसी का जोर नहीं होता और हम कितने भी समझदार क्यों ना हो लेकिन इन परम्पराओं से अकेले तो लड़ नहीं सकते इसकेबाद अफसाना से अपनी सारी आपबीती सलमान को बताई और कहा की मेरे पति शहीद हो गये तो इसमें मेरा क्या कुसूर है|अफसाना की आपबीती सुनने के

बाद सलमान ने कहा की तुम दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेती |इसपर अफसाना ने कहा  अब कौन करेगा मुझसे शादी दूर तक कोई लड़का रिश्ते को तैयार नहीं होता और मैं भी अब शादी नहीं करना चाहती अब तो जितने भी जिंदगी के शेष बचे दिन ऐसे ही काट लुंगी |

ये सब सुनने के बाद सलमान को काफी धक्का लगा और वो 7 दिनों तक अफसाना के बारे में सोचता रहा और अब सलमान के शहर वापिस जाने का समय भी आ गया था और वो अपने माता पिता के साथ बसस्टैंड की ओर जा रहा था लेकिन उसका दिल रो रहा था उसके सामने बार बार अफसाना का वही आसुओं से डूबा चेहरा और दर्द भरे

शब्द गूंज रहे थे जिसके बाद सलमान शहर ना जाकर गांव वापस आ गया  और उसने देखा अफसाना अपना सिर झुकाए बैठी थी तब सलमान ने अफसाना से कहा की अफसाना मै आज वापस शहर जा रहा हूँ और अब शायद सालो बाद वापस आऊ या फिर ना भी आऊ इसीलिए मै तुमसे कुछ पूछना चाहता हूँ और सलमान अफसाना के सामने  खड़ा होकर बोला अफसाना क्या तुम मुझसे शादी करोगी |

सलमान की बात सुनकर अफसाना उसे आश्चर्य भरी नजरों से देखती रही  तब सलमान ने कहा की अगर तुम्हे लगता है की तुम मेरे साथ खुश रह सकती हो तो तुम्हारे लिए एक नयी सुबह इंतजार कर रही है ये सब सुनकर अफसाना एक पल के लिए सलमान को देखती रही और फिर सलमान के बाँहों में समा गयी और

इस तरह से इन दोनों प्यार करने वालों को उनकी मंजिल मिल गयी और अफसाना की जिंदगी से अंधकार दूर हो गया और सलाम है सलमान की सोच को जिनके वजह से आज एक विधवा की  जिंदगी फिर से संवर गयी और इन्हें इनकी मंजिल मिल गयी और इसे ही कहते है सच्चा प्यार जो सलमान के दिल में था अफसाना के लिए |दोस्तों अगर आपको ये दिल को छू जाने वाली कहानी पसंद आई हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर जरुर करें |


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